बाघ व तेंदुए के आंतक से परेशान ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन

बाघ व तेंदुए के आंतक से परेशान ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
पीलीभीत।पूरनपुर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ट्रांस शारदा क्षेत्र में बाघ व तेंदुओं के आंतक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बनी हुई है। इन हिंसक जंगली जानवरों ने ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ा कर रख दी है। पिछले कई महीनों से बाघ व तेंदुआ ने जंगल क्षेत्र से बाहर निकल कर ट्रांस शारदा क्षेत्र में लोगों के खेतों में अपना डेरा जमाया हुआ है।इतना ही नहीं वह अक्सर खेतों से बाहर निकल कर लोगों के घरों में घुसकर पालतू जानवरों का शिकार कर रहे हैं।कुल मिलाकर ट्रांस शारदा क्षेत्र पिछले कई महीनों से हिंसक जंगली जानवरों का शरण स्थली बना हुआ है।वहीं कुठिया गुंदिया गांव में बाघ व तेंदुए की आमद ग्रामीणों व किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। ग्रामीणों के मुताबिक कुठिया गुंदिया गांव में बीते कई दिनों से बाघ व तेंदुए की चहलकदमी देखी जा रही है।बाघ ने बीते दिनों दो घरों में घुसकर दो पड्डों को मार दिया है।जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। वहीं लोगों की खेती किसानी भी प्रभावित हो रही है।वहीं हिंसक जंगली जानवरों के लगातार बढ़ते आंतक के बीच ग्रामीण वन विभाग पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं।जिससे नाराज गांव के सैंकड़ों ग्रामीणों ने महिलाओं के साथ कुठिया गुंदिया गांव में पंजाब घाट – टिब्भा रोड पर इकट्ठा होकर वन विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर बाघ व तेंदुओं को जल्द पकड़ने की मांग की है।वहीं ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर तो जरुर पहुंची वो भी पूरे सामान के साथ।लेकिन बीते पांच दिनों से गांव में खड़ा वन विभाग का ट्रैक्टर तथा ट्राली पर रखा सामान ग्रामीणों को मुंह चिढ़ाने का काम कर रहा है।वहीं अभी तक वन विभाग की टीम बाघ की लोकेशन ट्रेस नहीं कर पाई है।हाथियों से की जा रही काम्बिग व थर्मल ड्रोन भी काम नहीं आ रहा है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वन विभाग की बाघ को पकड़ने के तैयारी कैसे चल रही होगी। वहीं वन रेंज सम्पूर्णानगर खीरी के वन क्षेत्राधिकारी ललित कुमार ने हमें बताया कि कुठिया गुंदिया में बाघ की चहलकदमी होने की जानकारी मिली है। बाघ की लोकेशन ट्रेस करने के लिए हाथियों व ड्रोन से कांबिग की जा रही है। वहीं उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीणों से अपील की है कि वह अपने बच्चों व पशुओं को अकेले खेतों में न जाने दें।