पीलीभीत-किशनपुर-दुधवा के मध्य एक हाट स्पाट के रुप में उभर सकता है इस पर ध्यान देने की जरूरत

पीलीभीत-किशनपुर-दुधवा के मध्य एक हाट स्पाट के रुप में उभर सकता है इस पर ध्यान देने की जरूरत
पीलीभीत।पीलीभीत टाइगर रिजर्व के हरीपुर व बराही वन क्षेत्र जहां उत्तर खीरी वन प्रभाग के सम्पूर्णानगर वन क्षेत्र की सीमाओं के साथ मिलते हैं यह क्षेत्र शारदा नदी के बहाव का प्रमुख क्षेत्र है। जून से लेकर सितंबर तक यह क्षेत्र बाढ़ की तबाही से घिरा रहता है। लेकिन अक्टूबर से मध्य जून तक यह क्षेत्र जैवविविधता का हाट स्पाट रहता है। या यूं कहें कि इस क्षेत्र के मुकाबले का पीलीभीत टाइगर रिजर्व में कोई क्षेत्र है ही नहीं । कारण स्पष्ट है प्रवासी हाथी व गेण्डा के लिए यह लो लैण्ड घास के मैदान प्रिय आश्रयगाह हैं, बाघों व गुलदारों की संख्या डेन्सिटी सब क्षेत्रों पर भारी है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व व दुधवा टाइगर रिजर्व में पाये जाने वाले गिद्धों की सातों प्रजातियां इसी क्षेत्र में दिखाई देती हैं और नेस्टिंग भी करती हैं। लग्गा बग्गा से हरीपुर के मैदान तक हजारों की संख्या में बारहसिंगा की मौजूदगी है, जो शायद दुधवा व पीलीभीत में कहीं इतनी संख्या में दिखाई नहीं देते हैं। यही घास के मैदान दुर्लभ बंगाल फ्लोरिकन, लिख फ्लोरिकन, स्वाम्प फ्रानकोलिन, सिलेटी बुडपैकर, जार्डन बुशचैट, ग्रेट हार्नबिल, फिन बीवर, ग्रास आउल व तीन सौ से अधिक पक्षी प्रजातियां अपने अंदर समेटे हुए है। सरीसृप के लिए यह क्षेत्र अद्वितीय है अजगर, बैंडिड करैत, रेड कोरल कुकरी स्नेक, कोबरा के अतिरिक्त यहां सांपों की दर्जन से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां तक कि ब्रिटिश टाइम में कुकरी स्नेक का नामकरण भी इसी क्षेत्र के नाम से हुआ है। लेकिन क्या यह क्षेत्र कोई देख सकता है ? तो जबाब होगा नहीं। क्योंकि अभी तक इन क्षेत्रों को लेकर कोई टूरिज्म की रणनीति तैयार नहीं है। लेकिन भविष्य में इसको लेकर एक रणनीति की आवश्यकता है। यह क्षेत्र पीलीभीत -किशनपुर-दुधवा के मध्य एक हाट स्पाट के रुप में उभर सकता है इस पर त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है।