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सांप के काटने पर बिना देर किए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में कराएं इलाज,झाड़-फूंक पर न करे भरोसा

शिक्षा और जागरूकता का अभाव,ग्रामीण इलाकों में नहीं लेते चिकित्सा सुविधा

सांप के काटने पर बिना देर किए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में कराएं इलाज,झाड़-फूंक पर न करे भरोसा

सर्पदंश में झाड़-फूंक पर नहीं,चिकित्सक पर करें भरोसा

शिक्षा और जागरूकता का अभाव,ग्रामीण इलाकों में नहीं लेते चिकित्सा सुविधा

पीलीभीत।बरसात का मौसम शुरू हो चुका है,ऐसे में सांप,बिच्छू का खतरा बना रहता है।खेत ले की मेड़ पर ही जहरीले जीव होते है ज्यादातर ऐसे जहरीले जीव पानी की वजह से सूखी जगह पर ही रहते है। इसलिए पहले तो कदम ध्यान से रखें,अगर कोई सांप बगैरा काट ले तो कभी भी किसी बावा वैद्य, हरे,नीले,पीली,काले, सफेद कुर्ते वालो से बचे और सीधा सरकारी जिला अस्पताल की तरफ जाएं। दौरान सरकारी अस्पताल में एंटी डोज उपलब्ध होती है।अगर फिर भी किसी वजह से वहां पर “एन्टीवेनम” इंजेक्शन नहीं है तो किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में जाए और अपना प्रॉपर इलाज कराए। इलाज लंबा और खर्चीला तो हो सकता है परन्तु सरकारी अस्पताल में यह पूर्णतः मुफ्त है। सही इलाज करवाने से आपकी जिंदगी बच सके और आपका परिवार भी सुरक्षित हंसता खेलता रहे।बहुत से हमारे मित्र कहेंगे फलां को फलां इंसान को मन्त्र से ठीक कर दिया था,दोस्तों यह कोरी अफवाह है इससे कुछ नहीं होता है दरअसल जिस सांप ने काटा होता है वो जहरीला नहीं होता है और थोड़ी बहुत सूजन आ जाती है।और व्यक्ति ठीक हो जाता है।सांप काटने पर उस जगह पर पट्टी बांध लेना,ऐसा नहीं करना चाहिये।क्योंकि इससे जहर एक जगह पर रुक जाता है। जिससे उस अंग को काटने तक की नौबत आ जाती है।जितनी भी मौतें होती है वो ज्यादातर न्यूरो टॉक्सिक सांप, करैत, कोबरा के काटने से होती है।आज भी ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश के मामलों में पढ़े-लिखे और अनपढ़ सभी लोगों में झाड़-फूंक पर गजब का अंधविश्वास कायम है।जहरीले सांप के काटने पर झाड़-फूंक के चक्कर में मरीज की जान तक चली जाती है। दरअसल, जहरीले सांपों की प्रजाति दो तरह की होती है। एक वह जो नर्वस सिस्टम को ब्रेक करते हैं और दूसरा ब्लड सकुर्लेशन को प्रभावित कर मरीज की जान लेते हैं। पीड़ित का इलाज इंजेक्शन से संभव है, जो मरीज को समय पर डॉक्टर के पास ले जाने पर लगाया जाता है।यदि मरीज जरा-सा भी लेट हो जाता है तो उसकी जान भी जा सकती है।
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बरसात के मौसम में ज्यादातर होती है सांप काटने की घटनाएं

ग्रामीण इलाकों और वन क्षेत्रों में गर्मी व बरसात के मौसम में सांप काटने की घटनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं।बरसात के मौसम में बारिश जहां भीषण गर्मी से लोगों को राहत पहुंचाती है।वहीं दूसरी ओर बारिश सांपों के लिए भी कहर बन जाती है।बारिश की वजह से सांपों का बिल पानी से भर जाता है,जिसके कारण वे बाहर आकर सुरक्षित स्थान खोजने लगते हैं।ऐसे में कई सांप घरों में घुस जाते हैं,जिससे सर्पदंश जैसी घटनाएं बढ़ जाती है।
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सांप काटने के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं ग्रामीण व किसान

सर्पदंश से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा ग्रामीणों और किसानों की होती हैं।बारिश में खेतों में काम करने के दौरान किसान अक्सर सर्पदंश के शिकार हो जाते हैं। सर्पदंश की स्थिति में पीड़ित मरीज की मौत,बेहतर इलाज न मिल पाने के कारण हो जाती है। सरकारी अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन मौजूद होता है।
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सांप के काटने पर क्या नहीं करना चाहिए

सांप के काटने पर किसी बाबा, ओझा,झाड़-फूंक,नीम की पत्तियों को चख कर देखना कि कड़वा लग रहा है या मीठा यह सब बिल्कुल नहीं करना चाहिए।गांवों में सांप के काटने पर लोग नीम की पत्ती चाट कर पता लगाते हैं कि सांप ने काटा है या नहीं और यह बिल्कुल गलत तरीका है।किसी बाबा और ओझा के पास जाने से समय बर्बाद होता है इन चक्करों में आप बिल्कुल भी ना पड़ें।जहां सांप ने काटा है वहां पर चीरा नहीं लगाना चाहिए,इससे सेप्टिक होने के चांस बन जाते हैं।सांप के काटने पर तनाव नहीं लेना चाहिए क्योंकि घबराहट होने पर अक्सर लोगों की मौत हो जाती है।

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