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ग्रामीणों को बचाने के लिए जंगल किनारे तार फेसिंग कराने की मांग,सीएम को भेजा पत्र

ग्रामीणों को बचाने के लिए जंगल किनारे तार फेसिंग कराने की मांग,सीएम को भेजा पत्र

पीलीभीत।पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जंगलों से निकालकर तेंदुआ व बाघ आबादी के बीच पहुंच जाते हैं।कई बार लोगों पर हमला भी कर देते हैं।तराई के जंगलों से वन्यजीवों के आबादी में आने से मानव- वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।इसी को लेकर ओबीसी महासभा के संतराम विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री को भेजे गये पत्र बताया कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व जंगल के समीप कृषि योग्य भूमि है जिस पर पूरे बर्ष खेती की जाती है।कृषक अपना जीवन जोखिम में डाल कर कृषि कार्य करते हैं। टाइगर रिजर्व जंगल के पास ग्रामीण आबादी बाले क्षेत्र एवं खेतों में जंगली जानवर खुलेआम कई-कई दिन तक विचरण करते हैं।जब से पीलीभीत का जंगल टाइगर रिजर्व घोषित हुआ तब से सैकड़ों लोगों को अपना जीवन वन्य पशुओं से गवाना पड़ा है।जिस कारण किसानों को कृषि कार्य में बाधा उत्पन्न होती रही है।पीलीभीत टाईगर रिजर्व की सभी रेंज की सीमाओं को एडवांस फेसिंग सिस्टम से लगवाने के लिये पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका संजय गांधी के द्वारा वर्ष 2018 मे और वरुण गांधी (निवर्तमान सांसद पीलीभीत)के द्वारा वर्ष सितम्बर 2019 उपरोक्त प्रस्ताव का पुनः रिमाइंडर पत्र शासन को भेजा था।जिसके क्रम में चीफ कंजर्वेटर के द्वारा पूरे क्षेत्र जंगल की सीमा कितनी है।उसकी रिपोर्ट तैयार करवाकर उपनिदेशक टाईगर रिजर्व के द्वारा शासन में भेजी गईं थी।लेकिन कई बार आग्रह और पत्राचार के बाद भी बजट पारित नहीं किया गया।उक्त जंगल की माला रेंज में सांसद निधि के द्वारा फेसिंग करवाने के लिये भी धनराशि दी गई थी।लेकिन उससे कुछ ही किमी की फेसिंग हो पाई।शासन को तत्काल संज्ञान में लेके पूर्व के द्वारा भेजे गये प्रस्तावों के क्रम में राशि अवमुक्त कर देनी चाहिए।ताकि जंगल की सीमाओं पर टाइगर अटैक की घटनाओं पर अंकुश लग सके l

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