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धान स्विफ्ट तितली पर संकट, कीटनाशक और पर्यावरणीय बदलाव से घट रही संख्या

बच्चों और किसानों को जागरूक करना जरूरी: अख्तर मियां खान

धान स्विफ्ट तितली पर संकट, कीटनाशक और पर्यावरणीय बदलाव से घट रही संख्या

बच्चों और किसानों को जागरूक करना जरूरी: अख्तर मियां खान

पूरनपुर,पीलीभीत।गांव और खेतों के आसपास आमतौर पर दिख जाने वाली धान स्विफ्ट
तितली अब धीरे-धीरे संकट की ओर बढ़ रही है। यह प्रजाति अभी दुर्लभ नहीं है, लेकिन लगातार हो रहे कीटनाशक (पेस्टीसाइड) के इस्तेमाल और प्राकृतिक आवास में कमी के कारण इसकी संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो आने वाले वर्षों में यह तितली दुर्लभ श्रेणी में शामिल हो सकती है।धान स्विफ्ट तितली न केवल सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी बेहद उपयोगी है। यह फूलों से रस लेकर परागण करती है और पौधों की वृद्धि में अहम भूमिका निभाती है। इसके कैटरपिलर (लार्वा) पक्षियों और अन्य कीटों के लिए भोजन का काम करते हैं। तितलियाँ पर्यावरण के स्वास्थ्य का पैमाना मानी जाती हैं।ग्रामीण इलाकों और खेतों में लगातार कीटनाशकों का छिड़काव तितलियों पर सीधा असर डाल रहा है। खेतों के किनारे उगने वाले जंगली फूल और घास भी नष्ट हो रहे हैं, जिससे इनके रहने और प्रजनन करने का स्थान घटता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल तितली ही नहीं, बल्कि पूरी जैव विविधता के लिए खतरे की घंटी है।पौधों और फूलों का परागण प्रभावित होगा।पक्षियों और छोटे जीवों को भोजन कम मिलेगा।जैव विविधता और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा।कीटनाशकों का सीमित और सुरक्षित उपयोग।खेतों के किनारे जंगली फूलों और घास को सुरक्षित रखना।सामुदायिक स्तर पर तितली उद्यान का निर्माण।बच्चों और किसानों को जागरूक करना।

अख़्तर मियां खान, अध्यक्ष – टरक्वाइज वाइल्डलाइफ कन्जर्वेशन सोसायटी ने कहा धान स्विफ्ट तितली छोटी जरूर है, लेकिन पर्यावरण में इसकी भूमिका बेहद बड़ी है।कीटनाशकों का अधिक उपयोग और आवास नष्ट होने से इसका अस्तित्व खतरे में है। यदि हम आज सावधानी नहीं बरतेंगे तो आने वाले समय में यह तितली दुर्लभ हो जाएगी। छोटे-छोटे प्रयास,जैसे खेतों के किनारे फूल-घास बचाना और तितली उद्यान विकसित करना, इसके संरक्षण की सबसे बड़ी ताकत हैं।

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