शारदा नदी में बचाव कार्यों में करोड़ो खर्च होने पर भी सुरक्षित नही इंसान, पशु और जमीन
खिरकिया बरगदिया और राहुल नगर के ग्रामीणों के धरना प्रदर्शन के बाद बचाव कार्य हुआ था शुरु

शारदा नदी में बचाव कार्यों में करोड़ो खर्च होने पर भी सुरक्षित नही इंसान, पशु और जमीन
खिरकिया बरगदिया और राहुल नगर के ग्रामीणों के धरना प्रदर्शन के बाद बचाव कार्य हुआ था शुरु
हजारा,पीलीभीत।बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसमें हर साल करोड़ों रुपयों का नुकसान ही नहीं होता बल्कि हजारों-लाखों घर तबाह हो जाते हैं।लहलहाती खेती बर्बाद हो जाती है और अनगिनत मवेशियों के साथ इंसानी जिंदगियां साल भर में अनचाहे मौत के मुंह में चली जाती हैं।पूरनपुर और कलीनगर तहसील क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार करोड़ों का बजट जारी करती है।इसके बावजूद बाढ़ से सैकड़ो एकड़ कृषि भूमि और ग्रामीणों के घर शारदा में समा जाते हैं।मिली भगत से कागजों में ही बचाव कार्य शिद्दत हो जाते हैं।जिम्मेदार बरसात से चंद दिन पहले बचाव कार्य शुरू करते हैं। बारिश होने पर सभी बचाव कार्य नदी में बह जाते हैं।इसके बाद जांच के नाम पर खाना पूरी कर ईमानदारी से सरकारी धन बंदरबांट कर लिया जाता है।इस बार पूरनपुर में चंदिया हजारा, खिरकिया बरगदिया और राहुल नगर में लगभग 8 करोड़ 20 लाख की लागत से बचाव कार्य हो रहे हैं। पहले यह बजट चंदिया हजारा किनारे बचाव कार्य के लिए मिलता था लेकिन इस बार खिरकिया बरगदिया और राहुल नगर के ग्रामीणों के धरना प्रदर्शन के बाद बचाव कार्य शुरु हुए हैं।गांव को सुरक्षित रखने के लिए कटर, परकोपाईन, जिओ ट्यूब लगाए जा रहे हैं। धीमी गति से हुए कार्य में जमकर लापरवाही बरती गई है। सिंचाई विभाग व बाढ़ खंड के अफसरों की मनमानी के खिलाफ उठी आवाज को भी दबा दिया गया। इसके अलावा कलीनगर तहसील क्षेत्र के कई गांव शारदा नदी से सटे हुए हैं। बाढ़ बचाव कार्य के लिए यहां लगभग 10 करोड रुपए का बजट जारी हुआ।इसमें नलडेंगा और नगरिया खुर्द कला के स्पर संख्या 22, 23, 24, 25 और 26 कुल मिलाकर पांच परियोजनाओं पर पत्थर लगने सहित अन्य कामों में जमकर मनमानी बरती गई।पत्थर लगाने के दौरान नदी किनारे से ही मिट्टी और रेत जेसीबी से उठाकर स्पर तैयार किया गया। इससे नदी किनारे गहरे गड्ढे हो गए हैं। जलस्तर बढ़ने से कटान की आशंका जताई जा रही है। ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने कार्य में लापरवाही का आरोप लगाकर प्रदर्शन भी किया था लेकिन अफसरों ने इसे नजर अंदाज कर दिया। जिम्मेदार अफसर निरीक्षण के नाम पर खानापूरी कर वापस लौट आते हैं। पिछले साल की तरह अगर इस बार भी बारिश हुई तो शारदा नदी जमकर तबाही मचाएगी।
हजारा के राणा प्रतापनगर और श्रीनगर में भी कुछ काम हुए हैं।हालाकि इन्हे परियोजना में शामिल नहीं किया गया है। चंदिया हजारा राहुल नगर में लगभग 8 करोड़ 20 लाख की लागत से बचाव कार्य हुए हैं। कलीनगर क्षेत्र में नगरिया खुर्द कला और नलडेगा में हुए बचाव कार्यों की लागत देखनी पड़ेगी।
सौरभ कुमार
जेई, बाढ़ खंड
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