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नकाब और घूंघट में महिला प्रधान, पति सहित अन्य रिश्तेदार कर रहे घपला, महिला सशक्तिकरण और सीएम के आदेश की उड़ रही धज्जियां

नकाब औथ घूंघट

नकाब और घूंघट में महिला प्रधान, पति सहित अन्य रिश्तेदार कर रहे घपला, महिला सशक्तिकरण और सीएम के आदेश की उड़ रही धज्जियां

पीलीभीत जिलेभर में अधिकतर महिला प्रधानों के काम उनके पति, पुत्र, देवर, ससुर व अन्य रिश्तेदार बतौर खुद को प्रतिनिधि बताकर देख रहे है। इनमें अधिकांश विकास कार्यों के नाम पर फर्जी भुगतान कर घोटाला कर रहे हैं। इससे महिला सशक्तिकरण और सीएम के आदेश की जज्जियां उड़ रही हैं। इनमें से ज्यादातर ग्राम पंचायतों की प्रधानी नकाब और घूंघट के ओट में संचालित हो रही है।पूरनपुर विकास खंड के 189 ग्राम पंचायतों में दर्जनों ग्राम पंचायतों में महिला ग्राम प्रधान हैं। इनमें से अधिकतर महिला प्रधानों ने शपथग्रहण के बाद कभी भी ब्लॉक का मुंह नहीं देखा है। डोंगल सिस्टम में भी प्रतिनिधियों के ही हस्ताक्षर व मोबाइल नंबर दिए जाते हैं। ब्लॉक में प्रधानों की सूची में अंकित महिला प्रधानों के मोबाइल नंबर पर यदि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी फोन करता है, तो बात महिला प्रधानों के प्रतिनिधियों से ही होती है। ब्लॉक, जिले या तहसील की बैठकों में भी इन महिला प्रधानों के प्रतिनिधि ही शामिल होते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में महिला प्रधानों के प्रतिनिधियों के हस्तक्षेप को लेकर आदेश भी दिया, लेकिन इस आदेश का फिलहाल ब्लॉक में कोई असर नहीं है। यहां तक कि ग्रामीण भी अपनी महिला प्रधान का नाम न लेकर प्रधान प्रतिनिधियों को ही अपना प्रधान जानते व मानते हैं। ब्लॉक व जिले के अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन ही रहते हैं। मामले में डीपीआरओ रोहित कुमार का कहना है कि महिला प्रधानों की सुविधा के लिए गांव में ही ग्राम सचिवालय बन गये हैं। तमाम ग्राम सचिवालयों में महिला पंचायत सहायक भी नियुक्त हैं, लेकिन फिर भी महिला प्रधानों के नाम पर कुछ लोग खुद को प्रधान प्रतिनिधि बताकर काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को चिह्नित कर विधिक कार्रवाई की जाएगी। यह कोशिश की जाएगी कि असली निर्वाचित महिला प्रधान ही कामकाज देखे।

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सरकार के प्रयास से महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बढ़ेगा
सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि महिला प्रधानों के पति या अन्य रिश्तेदार आधिकारिक बैठकों में उनके प्रतिनिधि के रूप में शामिल न हों। इसका उद्देश्य महिला जनप्रतिनिधियों को नेतृत्व सौंपने और उनकी स्वीकार्यता बढ़ाना है।इस कदम का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि अपनी भूमिका में स्वतंत्र रूप से काम करें।
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प्रधान पति या रिश्तेदारों के हस्तक्षेप पर होगी कार्रवाई
सरकार ने “प्रधान पति” प्रथा को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें महिला प्रधानों के आधिकारिक बैठकों में उनके पति या अन्य रिश्तेदारों को शामिल होने से रोकना शामिल है।यदि कोई महिला प्रधान अपने स्थान पर किसी रिश्तेदार को भेजती है, तो पंचायती राज अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
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रिपोर्ट- शैलेंद्र शर्मा व्यस्त

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