अब परदे के पीछे नहीं चलेगी पंचायत! पीलीभीत डीएम का दमदार ऐलान: महिलाएं ही चलाएंगी गांव की सरकार
पंचायतों में परदे के पीछे की सरकार पर रोक, महिला आरक्षण का अब नहीं बनेगा मज़ाक

अब परदे के पीछे नहीं चलेगी पंचायत! पीलीभीत डीएम का दमदार ऐलान: महिलाएं ही चलाएंगी गांव की सरकार
पंचायतों में परदे के पीछे की सरकार पर रोक, महिला आरक्षण का अब नहीं बनेगा मज़ाक
पीलीभीत।गांव की सरकार अब सचमुच महिलाओं की हो, इसके लिए पीलीभीत में बड़ा प्रशासनिक एक्शन शुरू हुआ है। जिले के डीएम ने एक अहम आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पंचायतों में महिलाओं को मिले आरक्षण का मज़ाक नहीं बनने दिया जाएगा। अब किसी निर्वाचित महिला सदस्य की जगह उनका पति, बेटा, देवर या कोई और रिश्तेदार पंचायत की बैठक में न दिखाई देगा, न दस्तखत करेगा।डीएम का दो टूक कहना है, पद महिला का है तो प्रतिनिधित्व भी महिला का ही होगा। हाल ही में जिला पंचायत की एक बैठक में कुछ प्रतिनिधियों के बजाय उनके रिश्तेदारों के शामिल होने की खबर आई थी, जिसके बाद डीएम ने इस प्रवृत्ति पर नकेल कसने का फैसला किया। डीएम ने कहा है कि पंचायतों में महिलाओं को सिर्फ चेहरा बनाकर रखने की परंपरा अब खत्म होनी चाहिए। लोकतंत्र का अर्थ ही है कि हर निर्वाचित प्रतिनिधि खुद बैठक में भाग ले, विचार रखे और निर्णय ले।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई महिला सदस्य व्यक्तिगत कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सकती, तो उनकी अनुपस्थिति में कोई और व्यक्ति बैठक में जाकर कार्यवाही नहीं चला सकेगा। डीएम ने सभी पंचायतों की बैठकों की रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी है। अगर किसी बैठक में कोई पुरुष सदस्य महिला प्रतिनिधि की जगह पर बैठा पाया गया, तो उसे सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसा अपराध माना जाएगा।ऐसे मामलों में ज़िला पंचायत अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा भी चल सकता है। जिला अधिकारी ने यह भी साफ कर दिया है कि इस आदेश की अनदेखी करने वाले अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। ज़िला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, पंचायत राज अधिकारी सहित तमाम संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे इस शासनादेश का पालन सुनिश्चित कराएं।डीएम ने कहा, अगर कहीं पर भी यह व्यवस्था टूटती है, तो संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे। राज्य सरकार ने वर्षों पहले ही यह तय कर दिया था कि महिला आरक्षण का मतलब यह नहीं कि महिला सिर्फ नाम की हो और संचालन परिवार का कोई पुरुष करे। लेकिन धरातल पर यह सिस्टम आज भी कई जगह लागू नहीं हो पाया। पीलीभीत में अब इसे पूरी तरह से लागू करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाया गया है। डीएम का कहना है कि पंचायत स्तर पर महिलाओं को पूरी भागीदारी मिले, यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है। ऐसे में कोई भी समझौता अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गांव की गद्दी अब उन हाथों में रहेगी, जिन्हें जनता ने चुना है न कि उन हाथों में, जो परदे के पीछे से सत्ता चलाते हैं।पीलीभीत प्रशासन की ये पहल महिला नेतृत्व को सिर्फ कागजों पर नहीं, ज़मीन पर भी मजबूत करेगी।