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योग से शान्ति मिलै मन कौ चित शीतल देह निरोगी रहै

श्री जी पैलेस में योग दिवस पर हुई काव्य गोष्ठी, कवि व कवयित्रियों ने किया रचना पाठ

योग से शान्ति मिलै मन कौ चित शीतल देह निरोगी रहै

श्री जी पैलेस में योग दिवस पर हुई काव्य गोष्ठी, कवि व कवयित्रियों ने किया रचना पाठ

पूरनपुर,पीलीभीत।योग से शान्ति मिलै मन कौ चित शीतल देह निरोगी रहै।योग से ध्यान की शक्ति जगै परमार्थ सधै ऋषि वाणी कहै।
योग के आसन साधन सों तन के सब दूरि विकार बहै।योग से दीरघ आयु मिलै तन पुष्ट न किंचित दुःख सहै। वरिष्ठ कवि पंडित राम अवतार शर्मा ने उक्त सवैया पढ़कर योग का महत्व सरल शब्दों में समझाया। कई अन्य कवियों ने भी योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित गोष्ठी में मनहर काव्य पाठ किया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सिरसा चौराहा के निकट स्थित श्री जी पैलेस में कवि गोष्ठी का आयोजन सुरेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में किया गया। संजीता सिंह की वाणी वंदना से शुरू हुआ काव्य पाठ योग क्रियाओं तक की व्याख्या करता हुआ अन्य कवि विषयों को स्पर्श करता दिखा। संजीता सिंह ने पतियों की हत्या करने वाली कथित पत्नियों को अपनी रचनाओं में आड़े हाथों लिया।संचालन कर रहे कवि व शिक्षक विकास आर्य स्वप्न ने कुछ यूं फरमाया-जीत में हार में कितने व्यवहार हैं,भाव जैसे भी जिसके हों स्वीकार हैं।चूड़ियाँ, राखियाँ, रोटियां लड़कियां,
एक ही देह में कितने किरदार हैं।कवि राजेश राठौर राज ने सुनाया-मुफ्लिसी में जिन्दगी जिसकी गुजर गयी।इशफा़क़ अमीरों का गरीबी उघर गयी।छपी अखबार में तस्वीर पता ‘राज’ तब चला,
थी अपने ही मुनाफे की ये घर-घर खबर गयी।योग पर कवयित्री गीता राठौर ने सुनाया- स्वस्थ बनाएं काया अपनी,
दूर भगाएं सारे रोग।आयु भी लंबी हो जाती,
आओ करें हम मिलकर योग।मौसम व पर्यावरण पर डाक्टर नीराजना शर्मा के तेवर कुछ यूं दिखे- घर तपते गोले बने हुए सूरज की आंख चढ़ी है।तापमान आकाश छू रहा,गर्मी बहुत बढ़ी है।बेहाल हुए सब प्राणी, अब तो कुछ जतन लगा लो,इक पेड़ लगा लो, ओ भैया पेड़ लगा लो।वरिष्ठ कवि अंशुमाली दीक्षित के गीत लोगों को पसंद आए तो मुक्तक सम्राट डाक्टर यू आर मीत ने घर घर खटक रहे हैं बर्तन से लेकर पति पत्नी के बिगड़ते संबंधों पर शानदार मुक्तक सुनाए। कवि व पत्रकार सतीश मिश्र अचूक ने योग पर कुंडलियां सुनाई तो पत्रकार रामनरेश शर्मा ने विचार रखते हुए योग को उपयोगी बताया। अध्यक्ष सुरेन्द्र मिश्रा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए प्रति सप्ताह या प्रति पखवाड़ा ऐसी गोष्ठी आयोजित करने का आग्रह किया। विपिन मिश्र, मणिकांत, अमित, हर्षित, शिवांगी सहित कई लोग मौजूद रहकर करतल ध्वनि से कवियों का हौसला बढ़ाते रहे।

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