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श्री सीताराम विवाह का प्रसंग सुन मंत्र मुग्ध हुये भक्त

श्री सीताराम विवाह का प्रसंग सुन मंत्र मुग्ध हुये भक्त

बिलसंडा/पीलीभीतशनिवार  हनुमान मढ़ी पर आयोजित नौ दिवसीय श्री रामकथा के छठे दिवस कथावाचक पंडित अम्बरीष तिवारी ने भक्तों को श्री सीताराम विवाह प्रसंग का रसपान कराया।श्री सीताराम विवाह का प्रसंग सुन भक्त मंत्र मुग्ध हो गये।


कथावाचक पंडित अम्बरीष तिवारी ने भक्तों को कथा सुनाते हुये बताया कि एक बार मिथिला नरेश महाराज जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था।एक बार सफाई करते समय सीता ने उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया।आश्चर्य से भरे राजा जनक ने प्रतिज्ञा ली कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के सीता का विवाह किया जाएगा। सीता के विवाह के लिये उन्होंने स्वयंवर का आयोजन किया।देश के सभी राजा महाराजाओं को निमंत्रण भेजा गया।महर्षि विश्वामित्र के साथ प्रभु श्री राम और लक्ष्मण भी स्वयंवर में पहुंचे।सभी राजाओं ने अपने बल का प्रयोग कर शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया।लेकिन सफलता नहीं मिली।अंततः गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर प्रभु श्री राम धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने लगते हैं कि वह टूट जाता है। शिव धनुष के टूटते ही चारों ओर प्रभु श्री राम के जयघोष सुनाई देते हैं।सभी देवतागण प्रभु पर पुष्पवर्षा करते हैं।महाराज दशरथ गुरु वशिष्ठ की उपस्थिति में प्रभु श्री राम का विवाह सीता जी के साथ संपन्न होता है।भजनों के साथ प्रभु श्री राम विवाह का प्रसंग सुन भक्त मंत्र मुग्ध हो कर भगवान के जयकारे लगाते हैं। राजेश मिश्रा,अरविंद शुक्ला,भोलानाथ जायसवाल, रजनीश मिश्रा, पं संतोष मिश्रा,राकेश शर्मा, डॉ हिमांशु सक्सेना,नीरज गुप्ता,धीरज शर्मा सहित श्री सुंदरकांड कथा समूह के सदस्य और भक्तों ने श्री राम कथा का आनंद लिया।।

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