कंपोजिट विद्यालय बरहा में विज्ञान परिचर्चा में ‘सेल : विद्युत ऊर्जा का स्रोत’ विषय पर चर्चा
आईएपीटी अन्वेषिका के तत्वावधान में समर कैंप के तहत विद्यार्थियों को विज्ञान के मूल सिद्धांतों से कराया गया परिचय

कंपोजिट विद्यालय बरहा में विज्ञान परिचर्चा में ‘सेल : विद्युत ऊर्जा का स्रोत’ विषय पर चर्चा
आईएपीटी अन्वेषिका के तत्वावधान में समर कैंप के तहत विद्यार्थियों को विज्ञान के मूल सिद्धांतों से कराया गया परिचय
पीलीभीत कंपोजिट विद्यालय बरहा में चल रहे समर कैंप के अंतर्गत शुक्रवार को विज्ञान सामूहिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। यह आयोजन ‘समाधान आईएपीटी अन्वेषिका’ के तत्वावधान में किया गया, जिसमें छात्रों को ‘सेल : विद्युत ऊर्जा का स्रोत’ विषय पर जानकारी दी गई। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा किया गया।लक्ष्मीकांत शर्मा ने छात्रों को बताया कि सेल विद्युत ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है, जो मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – प्राथमिक सेल और द्वितीयक सेल। उन्होंने समझाया कि प्राथमिक सेल में रासायनिक ऊर्जा सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है, जबकि द्वितीयक सेल में पहले विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है, जो बाद में फिर से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित की जाती है। चार्ज किए जाने वाले सभी सेल द्वितीयक श्रेणी में आते हैं।कार्यक्रम में प्रतिभागियों को शुष्क सेल (ड्राई सेल) को खोलकर उसके विभिन्न घटकों – जैसे कार्बन छड़, जस्ते का खोल, मैंगनीज डाइऑक्साइड, अमोनियम क्लोराइड पाउडर, धात्विक कैप आदि – से परिचित कराया गया। छात्रों को बताया गया कि एक सामान्य शुष्क सेल का ईएमएफ (विद्युत वाहक बल) 1.5 वोल्ट होता है।श्री शर्मा ने सेल और बैटरी के बीच का अंतर भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि जब कई सेलों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि उनका कुल प्रतिरोध कम हो और अधिक ऊर्जा मिल सके, तब वह समूह बैटरी कहलाता है।परिचर्चा के अंतर्गत छात्रों को स्वयं पुराने सेल तोड़कर उसके आंतरिक भागों को देखने और समझने का अवसर भी प्रदान किया गया। इसके अलावा विद्यार्थियों को मापन, वायुदाब, घर्षण एवं गुरुत्व केंद्र से संबंधित कई वैज्ञानिक प्रयोग करके दिखाए गए। छात्रों ने स्वयं प्रयोग करके उनमें निहित वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझा।इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य ममता गंगवार, शिक्षक संतोष खरे सहित अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने छात्रों के बीच विज्ञान के प्रति जिज्ञासा को बढ़ाया और उन्हें व्यवहारिक ज्ञान से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया।