ब्रह्मचारी घाट के निर्माण एवं गौरीशंकर मंदिर मार्ग निर्माण में अनियमितता का आरोप
हिन्दू महासभा ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग

ब्रह्मचारी घाट के निर्माण एवं गौरीशंकर मंदिर मार्ग निर्माण में अनियमितता का आरोप
हिन्दू महासभा ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
पीलीभीत।जनपद पीलीभीत के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों ब्रह्मचारी घाट और गौरीशंकर मंदिर से संबंधित निर्माण कार्यों में हो रही लापरवाही, अनियमितता और संभावित भ्रष्टाचार को लेकर अखिल भारत हिन्दू महासभा ने गहरी नाराजगी जताई है। संगठन ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि इन कार्यों की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच कराई जाए तथा दोषी ठेकेदारों व अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।ज्ञापन में महासभा ने उल्लेख किया है कि ब्रह्मचारी घाट, जो कि एक अत्यंत प्राचीन और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थल है, वहां पर्यटन विभाग द्वारा कई करोड़ रुपये की लागत से सौंदर्यीकरण और सीढ़ियों के निर्माण का कार्य स्वीकृत किया गया था। इस योजना का शिलान्यास मार्च 2024 में किया गया था और शीघ्र ही कार्य भी प्रारंभ हो गया था। किन्तु जुलाई 2024 में आई बाढ़ के कारण घाट का फाउंडेशन कार्य पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और डाली गई मिट्टी बह गई। उसके बाद लगभग एक वर्ष तक यह कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा रहा। अब जब मानसून पुनः दस्तक दे रहा है और बारिश-बाढ़ की आशंका फिर से मंडरा रही है, कार्य को एक सप्ताह पूर्व पुनः शुरू कर दिया गया है, जिससे ठेकेदार की मंशा पर सवाल उठते हैं। महासभा का कहना है कि पहले भी जानबूझकर कार्य ऐसे समय में शुरू कराया गया जब बरसात तय थी, जिससे कार्य का मूल्यांकन असंभव हो गया और वास्तविक कार्य से अधिक भुगतान दिखाकर सरकारी बजट को ठिकाने लगाने का प्रयास किया गया। ऐसे में पहले से किए गए कार्यों की निष्पक्ष जांच अति आवश्यक है।वहीं, वंदन योजना के अंतर्गत आयुर्वेदिक कॉलेज से गौरीशंकर मंदिर तक बनाई जा रही सड़क को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हिन्दू महासभा का कहना है कि इस मार्ग के निर्माण में डब्लू वी एम (वॉटर बाउंड मैकेडम) प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। तकनीकी नियमों के अनुसार जहां विभिन्न आकारों के पत्थरों, रेत और पानी के मिश्रण से सड़क का आधार तैयार किया जाना था, वहां सिर्फ सूखा पत्थर डालकर उस पर पॉलीथीन बिछा दी गई और सीधे सीमेंट-कंक्रीट डाल दिया गया। इससे सड़क की मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। स्थानीय लोगों ने भी इस घटिया कार्य की शिकायत की है। हिन्दू महासभा का कहना है कि जब निर्माण का स्टीमेट और तकनीकी प्रस्ताव पूर्व से स्वीकृत था, तो उसमें बदलाव कर मानकों से हटकर कार्य क्यों कराया गया? क्या यह सुनियोजित घोटाले का हिस्सा है। महासभा ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इन दोनों मामलों में तत्काल उच्च स्तरीय तकनीकी जांच समिति गठित की जाए। साथ ही जब तक जांच पूरी न हो, संबंधित ठेकेदारों का भुगतान रोक दिया जाए। संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई,तो हिन्दू महासभा आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर के पास धरना-प्रदर्शन करेगी, जिसकी समस्त जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। संगठन ने यह भी कहा है कि यह केवल जनधन की हानि का मामला नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा के साथ भी गंभीर खिलवाड़ है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।